हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने ज़माने की हुकूमत के ख़िलाफ़ जो क़ियाम किया, उसकी बहुत सी वजहें हैं। लेकिन हम यहाँ पर उनमें से सिर्फ़ ख़ास ख़ास वजहों का ही ज़िक्र कर रहे हैं। 1- ख़िलाफ़त पर फ़ासिद लोगों का क़ब्ज़ा उम्मत की इमामत व रहबरी एक पाको पाकीज़ा व इलाही ओहदा है, यह ओहदा हर इंसान के लिए नही है। लिहाज़ा इमाम में ऐसी सिफ़तों का होना ज़रूरी है जो उसे अन्य लोगों से मुमताज़(श्रेष्ठ) बनायें । अक़्ल व रिवायतें इस बात को साबित करती हैं कि इमामत व ख़िलाफ़त का मक़सद समाज से बुराईयों को दूर कर के अदालत (न्याय) को स्थापित करना और लोगों के जीवन को पवित्र बनाना है। यह उसी समय संभव हो सकता है जब इमामत का ओहदा लायक़, आदिल व हक़ परस्त इंसान के पास हो। कोई समाज उसी समय अच्छा व सफ़ल बन सकता है जब उसके ज़िम्मेदार लोग नेक हों। इस बारे में हम आपके सामने दो हदीसे पेश कर रहे हैं। पैग़म्बरे इस्लाम (स.) ने फ़रमाया कि “ दीन को नुक़्सान पहुँचाने वाले तीन लोग हैं, बे अमल आलिम, ज़ालिम व बदकार इमाम और वह जाहिल जो दीन के बारे में अपनी राय दे।” इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने
The site is dedicated to the pure soul of Imam Husain(a.s).