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Showing posts from November, 2013

शीया मज़हब कब और कहाँ से आया?

कुरआने करीम में अल्लाह तआला फरमाता है : जो तुमको रसूल दे दें उसे ले लो और जिस से मना करे उससे   बाज़ रहो। ( सूरए हशर आयत 7) जिसने रसूल की इताअत की तो उसने अल्लाह की इताअत की। ( सूरए निसा आयत 80) सन 10 हिजरी में रसूलअल्लाह ( स .) ने इन्तेकाल फरमाया। जब आपका आखरी वक्त करीब था तो आपने फरमाया : '' हज़रत इन्बे अब्बास रजि . कहते हैं - जब नबी - ए - करीम ( स .) के दर्द तेज हुआ तो आपने फर्माया , मेरे पास कागज़ लाओ ताकि मैं तुम को ऐसी तहरीर लिख दूँ जिस के बाद तुम गुमराह न हो , हज़रत उमर रजि . बोले हुज़ूर पर दर्द की ज़्यादती है और हमारे पास खुदा की किताब है जो हमारे लिए काफी है , इस पर लोगों में इख्तलाफ़ पैदा हो गया और खूब शोर मचा , आपने ( यह देख कर ) फ़र्माया मेरे पास से चले जाओ , मेरे पास झगड़ा मत करो। '' ( सहीह बुखारी ( तजरीद ), हदीस नं . 90, हिन्दी एडीशन - ऑक्टोबर 2004, फरीद बुक डेपो , दिल्ली ) झगड़ा इस बात पर था कि रसूल - अ